बेटा अब बोलता है
पापा, मम्मी, अंकल, अक्का
बाय और न जाने क्या-क्या
बेटा अब बड़ा हो रहा है
उसकी मम्मी सिखाती है
एप्पल, फिश, पेंसिल, बस
मेरी माई भी सिखाती थी
ठीक बेटे की मम्मी की तरह
अ से आम, ब से बगुला
ख से खरगोश,ग से गदहा
बेटा पसंद-नापसंद करता है
चटपटी, मीठी, महंगी चीजें 'हां'
दाल-भात, सब्जी-रोटी 'ना'
मैं भी हां-ना करता था शायद
बेटा इंतजार करता है
पापा आ-आ पूछता है मम्मी से
पापा आ
बेटा स्कूल जाएगा,
कालेज, नौकरी
बहू आएगी,शहनाई बजेगी
बेटा आदमी हो जाएगा
उसकी रंगीन दुनिया होगी
जरूरतें, चाहतें होगी
संघषॅ भी होगा शायद
बेटा नहीं कहेगा पापा आ-आ
वह मांगेगा हिस्सा
उसे पापा की कभी-कभी याद आएगी
ठीक अपने दादा के बेटे की तरह
राष्ट्रीय ‘समझ’ को चुनौती देते राजनेता!
8 years ago
2 comments:
बात कड़वी है पर यथार्थ है।
अच्छा लगा सालों बाद आपको देखकर (तस्वीर ही सही)।
बात कड़वी है पर हकीकत के करीब है। अच्छी कविता।
सालों बाद आपको देखकर अच्छा लगा (तस्वीरों में ही सही)।
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