हां, सर
मैं बदतमीज
नालायक
कामचोर
मुंहफट हूं
क्योंकि मैं सच
बोलता हूं
कहीं भी, कभी भी
राज-राजनीति से ,दूर रखें सेना को
7 years ago
पथिक हूं। चलना मेरा काम। चल रहा हूं। मंजिल मिले या नहीं मिले। चिंता नहीं। अपन तो बस ओशो को याद करते हैं। मैं रास्तों में विश्वास नहीं करता। मेरा विश्वास चलने में हैं। क्योंकि मैं जानता हूं कि जहां भी मैं चलूंगा,वहां रास्ता अपने आप बन जाएगा। रास्ते रोने से नहीं, रास्ते चलने से बनते हैं।
1 comment:
bejubaan log duniya me kabhi naya sawera nahi la sakte,..kavita achhi lagi sir.....
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