Wednesday 8 April, 2009

ये राजनीति जिंदाबाद

कौन पापी, कौन पुण्यात्मा... राजनीति के हमाम में स्नान करने वालों के संबंघ में यह सवाल पूछना बेमानी है1 दरअसल' राजनीति के हमाम में सब नंगे हैं1 अौर नंगों के बारे में क्या बात की जाए1 वहाँ ईमान.धमॅ जैसी कोई बात नहीं होती1 कुसीॅ का खेल होता है 1 इसलिए इनकी बातों पर चौकना आला दजेॅ की बेवकूफी है1 प्रमोद महाजन कहा करते थे कि वे पावर के व्यवयाय में हैं1 सो यह सोचने में गुरेज नहीं होना चाहिए कि व्यवसाय कितना भी पाक.साफ हो गंदगी तो रह ही जाती है1 इसी तरह वरूण गाँधी के बयान पर कितनी भी नरमी से सोचें मन नहीं मानता कि भोलेपन में बक गए होंगे वरूण1 चलिए एक बार सोच ले कि वरूण तो बच्चे हैं पर लालू पचास पार हैं ... वे रोलर चलवाने की बात क्यों करते हैं1 जान लीजिए कि लालू प्रसाद जिस किशनगंज की धरती से भाषण दे रहे थे, वहाँ कि साठ फीसदी आबादी मुसलमानों की है1 साफ है कि रोलर चलवाने की बात करके लालू प्रसाद वोट की खेती कर रहे थे-ये वोटों के सौदागर1 एक हैं रामिवलास वेदांती1 साधु है1 पर बात लालू की तरह करते हैं1 फरमाते हैं कि वे रेल महकमे के मुखिया होते तो लालू की छाती पर रेल चलवा देते1 वाह रे साधु1 तेरी लीला... एक हैं उमा भारती1 कहने को दुनियादारी से दूर. संन्यासिनी1 पर मन लगता है राजनीति में1 बिना कुसीॅ के मन बावला हुआ जा रहा है1 इसलिए कल तक जिस लालकृष्ण आडवानी को पानी पीकर कोस रहीं थी, उन्हें ही आज पिता बता रही है. फायदे के लिए बाप बदलने वाले लोग1 इस धोर अनास्था के दौर में किसे दें वोट१ चुनिए इन्हीं बात बदलने वाले बेईमानों की भीड से एक ईमानदार1 ये राजनीति जिंदाबाद1

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